अच्छे समय का इंतजार नहीं, उसे जीना सीखो
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भूमिका
जीवन में हम अक्सर अच्छे समय के इंतजार में रहते हैं। हमें लगता है कि जब
हमारे पास सही अवसर, सही समय और सही परिस्थितियाँ होंगी, तभी हम खुश रह पाएंगे।
लेकिन क्या सच में ऐसा होता है? क्या जीवन एक सही समय की प्रतीक्षा में गुजार देना चाहिए,
या जो समय
हमारे पास है, उसे ही सबसे अच्छा बनाना चाहिए? यही सोच हमें इस कहानी के
मुख्य पात्र अर्जुन की यात्रा के माध्यम से समझने को मिलेगी।
अध्याय 1: इंतजार का भ्रम
अर्जुन एक मध्यमवर्गीय परिवार का युवक था, जिसने बचपन से ही सुना था कि "अच्छा समय आने वाला है।" जब वह स्कूल में था, तो माता-पिता ने कहा, "बस अच्छे नंबर ले आओ, फिर मज़ा आएगा।"
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जब कॉलेज पहुँचा, तो सोचा, "अच्छी नौकरी लग जाए, फिर जीवन मजेदार होगा।"
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अर्जुन अपने कॉलेज कैंपस में अकेला एक बेंच पर बैठा है। वह हाथ में एक नोटबुक
लिए दूर कहीं खोया हुआ है, अपने भविष्य के
बारे में सोचते हुए।
नौकरी लगी, तो सोचा, "थोड़ी तरक्की मिल जाए, फिर खुशी मिलेगी।" अर्जुन अपने ऑफिस डेस्क पर चिंतित बैठा है। उसके
चारों ओर कागज़ और फाइलें बिखरी हुई हैं, और वह अपने कंप्यूटर स्क्रीन को देख रहा है, प्रमोशन का इंतजार करता हुआ।
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अर्जुन की ज़िंदगी बस इंतजार में बीत रही थी। उसे लगता था कि जब सबकुछ ठीक
होगा, तब वह वास्तव में खुश रह सकेगा। लेकिन वह यह नहीं समझ पा रहा था कि खुश रहने
का समय अभी है, ना कि भविष्य में कहीं छिपा हुआ।
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अध्याय 2: एक बूढ़े व्यक्ति से सीख
एक दिन अर्जुन पार्क में बैठा गहरी सोच में डूबा हुआ था और जीवन का असली अर्थ समझने की कोशिश कर रहा था और एक वृद्ध व्यक्ति को देख
रहा था, जो बड़ी शांति और प्रसन्नता से चाय पी रहा था।
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अर्जुन से रहा नहीं गया और उसने पूछ लिया
"बाबा, आपको देखकर लगता है कि आप बहुत खुश हैं। क्या
आपकी ज़िंदगी में कोई समस्या नहीं है?"
बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कुराकर कहा,
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"बेटा, समस्याएँ तो हर किसी के जीवन में होती हैं,
लेकिन मैंने ये सीख लिया है कि जीवन का हर पल अनमोल होता है। अगर हम अच्छे समय
की राह देखते रहेंगे, तो पूरा जीवन कम पड़ जाएगा।" अर्जुन यह सुनकर सोच में
पड़ गया।
अध्याय 3: बदलाव की शुरुआत
अर्जुन ने उस दिन ठान लिया कि अब वह जीवन को बस गुजारने के लिए नहीं जिएगा,
बल्कि जो समय
उसे मिला है, उसे ही सर्वश्रेष्ठ बनाएगा।
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अध्याय 4: अच्छे समय की खोज बेकार है
एक दिन अर्जुन अपने दोस्त रोहित से मिला, जो हमेशा शिकायत करता रहता था।
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"यार, लाइफ में कुछ मज़ा नहीं है। जब अच्छी कार होगी, बड़ा घर होगा,
तब असली खुशी मिलेगी।"
अर्जुन ने मुस्कुराकर जवाब दिया,
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"अगर तुम बस इंतजार करोगे, तो ज़िंदगी निकल जाएगी।
असली खुशी वो नहीं होती जो हम भविष्य में सोचते हैं, बल्कि जो हम अभी महसूस कर
सकते हैं।"
रोहित सोच में पड़ गया। उसे एहसास हुआ कि वह भी सिर्फ अच्छे समय की राह देख
रहा था, जबकि उसके पास पहले से ही बहुत कुछ था।
अध्याय 5: जीवन की सच्ची खुशी
समय बीतता गया, और अर्जुन ने हर दिन को पूरी तरह जीना सीख लिया। वह अपने
आसपास की छोटी-छोटी खुशियों को महसूस करने लगा। अब उसे भविष्य की चिंता नहीं थी,
बल्कि वर्तमान
का आनंद लेना आ गया था।
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उसने महसूस किया कि जीवन में सबसे अच्छा समय वह नहीं होता जो आने वाला होता है,
बल्कि वही होता
है जो अभी हमारे पास है।
निष्कर्ष
अगर हम हमेशा भविष्य के अच्छे समय की प्रतीक्षा करेंगे, तो पूरा जीवन कम पड़ जाएगा। खुशी किसी आने वाले पल में नहीं, बल्कि अभी इसी समय में छिपी होती है। अगर हम इसे पहचान लें, तो जीवन सच में आनंदमय बन सकता है।
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